SuryaKant Tripathi 'Nirala'
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
(जन्म: 21 फ़रवरी 1896, निधन 15 अक्टूबर 1961 )
निराला जी का नाम मूलतः छायावाद से जोड़ा जाता है, किन्तु उनके कृतित्त्व और व्यक्तित्त्व ने समूची सदी के साहित्य परिदृश्य को प्रभावित किया। बंगाल के महिषादल में उनका जन्म हुआ और अवध प्रदेश के बैसवाड़ा अंचल में उनके जीवन का अधिकांश समय बीता। उनके कृतित्त्व में इन दोनों साहित्य-संस्कृतियों के गहरे रंग उभरकर सामने आते हैं। एक ओर उन पर तुलसीदास का गहरा रंग है, तो दूसरी ओर रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का। वे वेदान्त-दर्शन से गहरे तक प्रभावित होने के बावजूद राष्ट्रीय चेतना और यथार्थवादी दृष्टि में विश्वास करते हैं। उनके सक्रिय जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा पत्रकारिता के क्षेत्र में और लखनऊ, इलाहाबाद में रहते हुए बीता।
प्रमुख कृतियाँ : (काव्य) राम की शक्तिपूजा, तुलसीदास, सरोज स्मृति, कुकुरमुत्ता, अनामिका, अणिमा, नये पत्ते, बेला, (उपन्यास) अप्सरा, निरुपमा, प्रभावती, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा, (कहानी-संग्रह) चतुरी चमार, सुकुल की बीवी, (निबन्ध-आलोचना) रवीन्द्र कविता कानन, चाबुक, प्रबन्ध पराग आदि।