Dr. Razi Ahmad
डॉ. रज़ी अहमद
बिहार के वर्तमान बेगूसराय ज़िला के नूरपूर गाँव के एक मध्यवर्गीय शिक्षित परिवार में पले-बढ़े डॉ. रजी अहमद ने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. किया, फिर वहीं से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। एस.ए. करने के बाद 1960 से ही वह रचनात्मक क्षेत्र में सक्रिय होकर तत्कालीन बिहार के मुख्यमन्त्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की अध्यक्षता में बिहार में गाँधी संग्रहालय निर्माण के लिए 1958 में बनी समिति की योजनाओं से सम्बद्ध रहे। बारह वर्षों तक (1980-1992) तक यह राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय, नयी दिल्ली के मन्त्री भी रह चुके हैं। पाँच वर्षों तक 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' इंडिया चैप्टर, नयी दिल्ली के सिक्रेटरी जेनरल भी रह चुके हैं। आपने 1978 में भारतीय प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य की हैसियत से यू.एन.ओ. में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। केन्द्रीय गाँधी स्मारक निधि, नयी दिल्ली, राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय समिति, नयी दिल्ली, राजेन्द्र भवन ट्रस्ट, नयी दिल्ली, बिहार विरासत विकास न्यास बिहार सरकार सहित अनेक शैक्षणिक, रचनात्मक और मानवाधिकार के लिए संघर्षशील संस्थाओं की कार्य समिति और ट्रस्ट से सम्बद्ध हैं। पटना विश्वविद्यालय सहित कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक और सामाजिक संस्थानों ने इनके सराहनीय कार्यों के लिए इन्हें सम्मानित किया है।
डॉ. अहमद की अनेक छोटी पुस्तिकाओं के अतिरिक्त कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें उर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें 'सदाकत आश्रम', 'साम्प्रदायिकता एक चुनौती', 'गाँधी और मुसलमान', 'जयप्रकाश नारायण, 'आज़ादी के पचास वर्ष क्या खोया क्या पाया', 'गाँधी अमांग दी पीजेंट्स' ने स्कॉलर्स को आकर्षित किया है। देश और विदेशों में मानवाधिकार, अन्तरराष्ट्रीय समस्याओं तथा इस्लाम और विश्वबन्धुत्व जैसे विषयों पर आयोजित विचार-गोष्ठियों में आप सम्मिलित होते रहे हैं।