Jai Prakash Singh
जन्म : जनवरी 2, 1937, ग्राम- कटघरा, चिरानीपट्टी, सुल्तानपुर, उ.प्र.।
शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से। अध्यापन : अगस्त 1959 से अगस्त 1985 तक का. हि. वि. वि. के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में एवं उसके बाद अगस्त 1985 से पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष; डीन स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज; डायरेक्टर (अवैतनिक), इंडियन काउंसिल ऑफ़ सोशल साइंस रिसर्च, नयी दिल्ली के नार्थ ईस्टर्न रीजनल सेण्टर आदि पदों पर रहे। अवकाश प्राप्ति के बाद (2002) का.हि.वि.वि. के परिसर में स्थित भारतीय मुद्रा परिषद् (1909 में स्थापित) के अध्यक्ष एवं परिषद् की शोध पत्रिका जरनल ऑफ़ द न्यूमिस्मेटिक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के प्रधान सम्पादक रहे। सम्प्रति परिषद् के मुख्य सचिव।
प्रकाशित पुस्तकें : आस्पेक्ट्स ऑफ़ अर्ली जैनिज्म, हिस्ट्री ऐंड क्वायनेज ऑफ़ स्कंदगुप्त विक्रमादित्य, मनेटरी डेवेलपमेण्ट इन अर्ली आसाम, इंट्रोडक्शन टु द अर्ली हिस्ट्री ऑफ़ द माणिक्यज़ ऑफ़ त्रिपुरा, अमेरिका में डेढ़ वर्ष (इतिहास, चुनाव, यात्राएँ)।
सम्पादित पुस्तकें : सेमिनार पेपर्स आन लोकल क्वायंस ऑफ़ नार्दर्न इंडिया, सेमिनार पेपर्स आन ट्राइबल क्वायंस ऑफ़ ऐंश्यंट इंडिया, प्रो. डी. डी. कोसाम्बी कमेमोरेशन वाल्यूम, क्वायनेज ऐंड इकोनामी ऑफ़ नार्थ ईस्टर्न स्टेट्स ऑफ़ इंडिया, क्वायनेज आफ बेंगाल ऐंड इट्स नेबरहुड, क्वायनेज ऑफ़ त्रिपुरा, आर्कियोलाजी आफ नार्थ ईस्टर्न इंडिया, ट्रेन्ड्स इन सोशल साइंसेज इन नार्थ ईस्टर्न इंडिया 1947-97, रिसर्च प्रिआरिटीज़ इन नार्थ ईस्ट इंडिया, स्टेटस ऑफ़ सोशल साइंसेज़ इन द लैंग्वेजेज ऑफ़ नार्थ ईस्टर्न इंडिया, सर्वे ऑफ़ न्यूमिस्मेटिक स्टडीज़ इन इंडियन लैंग्वेजेज, स्टडीज़ इन इंडियन न्यूमिस्मेटिक्स, हंड्रेड ईयर्स ऑफ़ न्यूमिस्मेटिक सोसायटी ऑफ़ इंडिया, भाग-2, प्रेजिडेन्शियल ऐड्रेसेज।