Dr. Kumar Vishwas
डॉ. कुमार विश्वास का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद जिले में, 10 फरवरी 1970 को वसन्त पंचमी के दिन हुआ।
कलावादी माँ का लयात्मक लोकज्ञान व प्राध्यापक पिता का भयात्मक अनुशासन साथ-साथ मिले। इंजीनियरिंग से लेकर प्रादेशिक सेवा तक और कामू से लेकर कामशास्त्र तक, थोक में भटके, पर अटके सिर्फ साहित्य पर ।
आईआईटी से लेकर आईटीआई तक और कुलपतियों से लेकर कुलियों तक, उनके चाहने वालों की फेहरिस्त भारत की लोकतान्त्रिक समस्याओं जैसी विविध व अन्तहीन है। वे टीवी की रंगीन स्क्रीन से लेकर एफएम रेडियो के माइक्रो स्पीकर तक हर जगह सुनाई दिखाई देते हैं। करोड़ों युवा उनसे प्रेरणा पाते हैं और साहित्य को विस्तार देने के सुपथ पर बढ़ते हैं।
अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं-इक पगली लड़की के बिन (1996), कोई दीवाना कहता है (2007), फिर मेरी याद (2019) और ब्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना (2021)। उन्होंने जॉन एलिया पर देवनागरी लिपि में प्रकाशित चार पुस्तकें-मैं जो हूँ 'जॉन एलिया' हूँ, लेकिन, यानी और गुमान का सम्पादन भी किया है। वर्तमान में उनकी तीन अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं।