Krantipathika

Hardbound
Hindi
9789390659463
1st
2022
112
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क्रान्तिपथिक -
स्वतन्त्रता के ऋत्विक सुभाषचन्द्र बोस की भारतीय जनमानस में अमिट छाप है। ऐश्वर्यशाली परिवेश में पलने के बावजूद आजीवन संघर्षरथी होकर देश को स्वतन्त्र कराने के प्रयत्नों के साथ बीसवीं सदी के पाँचवें दशक में उनकी विश्वमंच पर जीवन्त उपस्थिति व स्वीकार्यता निःसंदेह चकित करने वाली रही है। तुम मुझे खून दो का उद्घोष यादकर आज भी मन रोमाँच से भर जाता है। स्वतन्त्रता के युद्धघोष से पूर्व गाँधीजी से वैचारिक वैभिन्य के बावजूद उन्हें राष्ट्रपिता कहकर आशीर्वाद लेना उनके हृदय की विशालता को दर्शाता है। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की कार्यशैली की त्वरा मात्र उन्हें तीक्ष्ण मेधा का धनी ही नहीं साबित करती वरन् दक्ष राजनीतिज्ञ भी सिद्ध करती है और उन्हें विश्व की अन्य क्रान्तियों के नायकों की पंक्ति में अग्रगण्य स्थान पर प्रतिस्थापित करती है। खून लेने देने की बात वही कर सकता है, जिसकी शिराओं में ही नहीं, आँखों में भी खून खौलने लगता हो।
प्रस्तुत खण्डकाव्य में इस धीरोदात्त नायक की विविधवर्णी तिनकों से बहुधना गुमिवफित जीवन-मड़ई के चतुर्दिक सुवासभरे मुकुलित प्रसूनों की धारावृष्टिपूरित नयनसुभग मर्मस्पर्शी झाँकी सजाने का प्रयास किया गया है।

जयप्रभा यादव (Jayprabha Yadav)

जयप्रभा यादव जन्मस्थान : घाटमपुर खुर्द, बीघापुर, उन्नाव (उत्तर प्रदेश)माता-पिता : श्रीमती सावित्री देवी व श्री जयराम सिंह यादवशिक्षा : परास्नातक (अंग्रेजी साहित्य, संस्कृत, प्राचीन भारतीय इत

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