रावण के नाभि प्रवेश में अमृत का वास अध्यात्म रामायण, आनन्द रामायण, सानाथ रामायण, धर्मखण्ड, तत्त्वसंग्रह रामायण, भावार्थ रामायण और रामचरितमानस में हैं। वे पराक्रमी योद्धा के अलावा विद्वान और बुद्धिमान हैं। वे शास्त्रज्ञ भी हैं। मयरावण चरितम् के हनुमान रामचरितमानस की तरह ही ब्रह्मचारी हैं। यह वृत्तान्त, स्कन्दपुराण, अवन्तीखण्ड, रेवा अध्याय के 83 में भी है। पद्मपुराण के पातालखण्ड में भी हनुमान के ब्रह्मचर्य का वर्णन है। तुलसीदास के अनुसार वाल्मीकि की ही तरह हनुमान की माता अंजना और पिता वायु हैं। वे शिव के अवतार भी हैं। तुलसीदास की दृष्टि युग सापेक्ष रहकर भी युग की सीमाओं को अतिक्रान्त कर जाती है। यही कारण है कि जनक्रान्ति द्रष्टा कवि की सार्थकता कभी समाप्त नहीं होती। यह युग-युगीन हो जाती है और बदलती दुनिया में भी अपनी उपादेयता बरकरार रखती है। तुलसी ने धर्म को सर्वागीण मंगल उन्मुख व्यवस्था का रूप दिया। तुलसीदास ने वर्णाश्रम के मर्यादावाद को स्वीकार किया है।
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