प्रतिष्ठित कोर्ट मार्शल में आरोप के घेरे में न सिर्फ़ भारतीय सशस्त्र बलों की न्यायिक प्रक्रिया है, बल्कि पूरा समाज ही है, जहाँ भेदभाव हमें अपनी मानवता पर अमल करने से रोकता है। यहाँ समाज ही कठघरे में है।' :-महेश दत्तानी, नाटककार
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सेना के सिपाही रामचन्दर ने एक हत्या की है, लेकिन इसके लिए वह कितना जिम्मेदार है? डॉक्टर सुकान्त क्या अपनी प्रेमिका अपूर्वा को हत्या के आरोप में फाँसी की सज़ा से बचा सकेगा? लोगों का भविष्य बताने वाला सिद्धड़ क्या उनकी महत्त्वाकांक्षाओं के फन्दे से जीवित बच पायेगा? स्वदेश दीपक का ये प्रसिद्ध नाटक समाज की जड़ों में गहराई तक पैठी सड़ांध को खोद कर हमारी निगाहों के सामने रखता है, जिसमें जाति व्यवस्था, सामन्ती सत्ता और अन्धविश्वासों और सम्पन्नता की ओर एक अन्धी दौड़ की मानवद्रोही हक़ीक़त उजागर होती है।
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'कोर्ट मार्शल को बधाई... यह एक ऐसा नाटक है जो नाटक की सीमाओं से परे जाता है।' - द इंडियन एक्सप्रेस
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