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Ramayan Mahatirtham

Hardbound
Hindi
9788126330317
4th
2011
352
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₹350.00

रामायण महातीर्थम् - प्रख्यात ललित निबन्धकार और मनीषी चिन्तक स्व. कुबेरनाथ राय की यह पुस्तक 'रामायण महातीर्थम्' स्वयं श्री राय द्वारा संयोजित उनकी अन्तिम कृति है, अतः इसके प्रकाशन का एक ऐतिहासिक महत्त्व भी है। संयोगवश इस कृति का प्रकाशन ऐसे समय में हो रहा है जब राम विचार और विवाद दोनों के केन्द्र में हैं। इस दृष्टि से 'रामायण महातीर्थम्' जैसे ग्रन्थ का महत्त्व और बढ़ जाता है। राम का आनन्दमय चेतना स्वरूप कुबेरनाथ राय को सदैव सम्मोहित करता रहा है। अपने अन्तिम दिनों में वे रामकथा के भावात्मक और बौद्धिक सौन्दर्य के अध्ययन और उद्घाटन में एकाग्र थे। उसी का प्रतिफल है 'रामायण महातीर्थम्' । कुबेरनाथ जी ने इसमें राम और रामकथा को नये बौद्धिक सम्मोहन से मण्डित किया है—एक नयी लालित्यपूर्ण भंगिमा के साथ। उनका मानना है कि अनहदनाद के साधना-शिखर पर स्थित राम को पहचानने का अर्थ ही भारतीयता के सारे स्तरों के आदर्श रूप को, भारत के सहज चिन्मय रूप को पहचानना है। पुस्तक में रामकथा में निहित आर्ष भावना और विचारों का विस्तृत और गम्भीर विवेचन है। ज्ञानपीठ की एक विशेष प्रस्तुति।

कुबेरनाथ राय (Kubernath Rai )

कुबेरनाथ राय - प्रख्यात ललित निबन्धकार। जन्म : 1935, मतसा (गाजीपुर) उत्तर प्रदेश। प्रमुख रचनाएँ : मराल, प्रिया नीलकण्ठी, रस आखेटक, गन्धमादन, निषाद बाँसुरी, विषाद योग, पर्णमुकुट, महाकवि की तर्जनी, मण

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