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Isee Mittee Se

Hardbound
Hindi
8126309466
3rd
2003
144
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₹100.00

इसी मिट्टी से


वर्ष 1987 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित वि.वा. शिरवाडकर 'कुसुमाग्रज' समसामयिक मराठी साहित्य-जगत में सर्वाधिक प्रतिष्ठित हैं।


विभिन्न साहित्यिक विधाओं को महत्त्वपूर्ण योगदान करते हुए भी 'कुसुमाग्रज' मूलतः कवि और नाटककार हैं। 1933 में प्रकाशित काव्य- संग्रह 'जीवन लहरी' से लेकर 1984 में प्रकाशित 'मुक्तायन' तक की उनकी काव्य-यात्रा अत्यधिक भव्य रही है। 'भारत छोड़ो' आन्दोलन के वर्ष (1942) में प्रकाशित उनके काव्य-संग्रह 'विशाखा' को रातों-रात जो प्रसिद्धि मिली उससे पूरा मराठी-जगत आश्चर्यचकित हो उठा था ।


प्रकृति और प्रेम के ऐन्द्रिक पक्षों के सूक्ष्म उद्घाटन के साथ-साथ कुसुमाग्रज की कविता में सामाजिक जीवन में अन्याय, विषमता और क्रूरता से उत्पन्न होने वाले द्वन्द्व के चित्रण में उनके चिन्तन की गहराई स्पष्ट दिखाई देती है। वे 'मानवता' से अधिक 'मनुष्यता' के पक्षधर रहे। उनका काव्य एक प्रकार से प्रेम तथा 'साधारण' की 'असाधारणता' का जयघोष है।


प्रस्तुत काव्य-संकलन 'इसी मिट्टी से' के लिए कुसुमाग्रज ने कविताएँ स्वयं चुनीं और हिन्दी पाठकों के लिए मराठी के उत्कृष्ट रचनाकारों और साहित्यमर्मज्ञों ने उन्हें रूपान्तरित किया।

विष्णु वामन शिरवाड्कर 'कुसुमग्राज' (Vishnu Vaman Shirwadkar 'Kusumagraj')

27 फरवरी, 1912 को जनमे वि.वा. शिरवाडकर 'कुसुमाग्रज' की गणना मराठी के युग-निर्माता साहित्यकारों में होती है। उनका प्रथम काव्य-संग्रह 'जीवन-लहरी' 1933 में प्रकाशित हुआ। उनकी कुल 13 काव्य-कृतियाँ प्रकाशित

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