कविता मनुष्यों के लिए - मराठी के शीर्षस्थ कवि मंगेश पाडगाँवकर के कविता संग्रह 'कविता माणसांच्या, माणसासाठी' की इकसठ कविताओं का रूपान्तर है—'कविता मनुष्यों के लिए'। पाडगाँवकर ने अपनी इन कविताओं में व्यक्ति और उनसे सम्बद्ध चराचर जगत के विभिन्न रूपों एवं भावावस्थाओं को वाणी दी है। शब्द की गहरी पहचान और सूक्ष्म संवेदनात्मक अनुभव को मूर्त रूप देने वाली समुचित बिम्ब-योजना एवं अर्थ के गहरे संकेत देने वाली प्रतीकात्मकता पाडगाँवकर की कविता की विशेषता है। मंगेश पाडगाँवकर की कविता जीवन, परिवेश और समय से तथा समाज और निचले तबके की वेदना से अपना भावात्मक रिश्ता जोड़ती है। उनकी कविता में कहीं विलक्षण ढंग की नाट्यात्मकता है तो कहीं व्यंग्य के साथ एक अजीब प्रकार का हास्य भी। संग्रह की अनेक कविताओं में पंचतन्त्र एवं हितोपदेश जैसी शैली अपनायी गयी है। पाडगाँवकर किसी वाद या विचारधारा से बँधे नहीं हैं। यही कारण है कि उनका अनुभव-संसार व्यापक और गहरा है। जीवन की जटिलता को व्यक्त करते समय उन्होंने कविता को अनावश्यक रूप से न तो बोझिल होने दिया और न ही रहस्यमय। जाने-माने लेखक और समीक्षक चन्द्रकान्त बान्दिवडेकर द्वारा अनूदित यह रचना मराठी मूल की तरह हिन्दी के सहृदय पाठकों को भी रसात्मक अनुभूति देगी, इसी विश्वास के साथ समर्पित है—'कविता मनुष्यों के लिए'।
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