'अंग्रेज़ो भारत छोड़ो' की गूंज के बीच जिस व्यक्ति ने होश सँभाला हो, जिसके परिवार के लोग मातृभूमि की आजादी के लिए शहीद हुए हों, उसके व्यक्तित्व और आचार-विचार पर रचनात्मक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
इस पुस्तक में भारतीय उपमहाद्वीप, जो बदकिस्मती से तीन हिस्सों में बँट गया है, के ऐसे पचहत्तर महत्त्वपूर्ण विद्वानों के चुने हुए महत्त्वपूर्ण आलेखों को डॉ. फणीश सिंह पेश कर रहे हैं जिन्होंने सुदृढ़ समाज और आत्म सम्मानी हिन्दुस्तान का सपना देखा था और देश के नव-निर्माण में अपनी सलाहियतों का भरपूर इस्तेमाल किया है इन महापुरुषों के विचार महज उनके विचार ही नहीं हैं, वे हिन्दुस्तान में चल रही विभिन्न विचारधाराओं के प्रतीक भी हैं इन्हें पड़कर आज़ादी की लड़ाई के अनेक पहलुओं की सुधी पाठकों को विस्तारित जानकारी मिलेगी। यहाँ अगर राजनेता और दार्शनिक अपना विचार व्यक्त करते मिलेंगे तो रवीन्द्रनाथ टैगोर और नजरूल इस्लाम जैसे कवि देशभक्ति और मानवीय मूल्यों की वकालत करते मिलेंगे।
ह्वेनसांग, फाह्यान, मेगास्थनीज, इब्ने बतूता और अफनासी निकितीन जैसे विद्वानों ने यहाँ के ज्ञान भंडारों से लाभ उठाया और दुनिया के अनेक देशों में हमारे वैभव की दास्तानें पहुँचाई। फणीश जी ने उन देशों के साथ यूरोप के अनेक देशों और इस्लामी संस्कृति के केन्द्र रहे समरकन्द, बुखारा, ताशकन्द और फरगना जाकर वहाँ और यहाँ के समाज पर परस्पर प्रभाव के अध्ययन की भी कोशिश की है। डॉ. फणीश सिंह ने इस पुस्तक के परिचय में आजादी की लड़ाई के लम्बे इतिहास के उतार-चढ़ाव की दास्ताँ पर तफसीली रोशनी डाली है। संकलित आलेख और पुस्तक परिचय पर नजर डालने वाले को हिन्दुस्तान की आज़ादी और उससे जुड़ी महत्त्वपूर्ण घटनाओं की भी भली-भाँति जानकारी हो जायेगी।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review