हाइकु विश्व साहित्य में ‘चित्रभाषा' की सबसे पुरानी शैली है। पिछली शताब्दी के दौरान दुनिया भर के काव्य प्रयोगों में चित्रयाबिम्ब के माध्यम से कविता कहने का आग्रह बढ़ा है। जाहिर है, साथ-साथ हाइकु की लोकप्रियता भी बढ़ी है। जापान के कवि ब्रश लेकर अपने शिष्यों के साथ एकान्त में रहते हुए सुन्दर साफ शब्दों में कविता रचने का काम करते थे। यहाँ कविता को चित्रकला और खुशनवीसी का सान्निध्य मिला, जिस कारण यहाँ विकसित कविता में भी चित्रात्मकता और अनुभूतिजन्य लेखन पर विशेष ध्यान दिया गया। जापान के विपरीत भारत में कविता का विकास वाचिक कला के रूप में हुआ है। मुक्तक की परम्परा में यह बात और भी अधिक लागू होती है। हमारे यहाँ कविता हमेशा से 'कही' गई है, जिस कारणभाषा के ध्वन्यात्मक गुण और वाग्मिता-शक्ति हिन्दी के कवियों को स्वाभाविक रूप से मिलती है। हालांकि इनमें समानताओं कि कमी नहीं, लेकिन कई मायनों में जापानी कविता भारतीय कविता की पूरक है। ऐसे में यहाँ के सौंदर्यशास्त्र और कविता की समझ हमारी काव्य-दृष्टि को समृद्ध करेगी, यह आशा करता हूँ।