अपने प्रत्येक नाटक की भाँति तेंडुलकर का नाटक ‘चीफ मिनिस्टर’ भी एक ज्वलन्त, गम्भीर, सत्य घटना को उद्घाटित करता है। राजनीति की कुटिल चालों में सत्य के पोषक, सदाचारी, सब धराशायी हो जाते हैं, भस्म हो जाते हैं। यह नाटक इस कटु सत्य को प्रदर्शित करता है कि सरकार निरपराध लोगों पर गोलियाँ चलवाती है, निर्दोष व्यक्ति अपने को जिन्दा जला डालते हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूँ नहीं रेंगती, बल्कि वह समाज के भ्रष्ट सरमायेदारों और अपराधियों को संरक्षण देती है और इसी भ्रष्टाचार की मिलीभगत के दम पर अपना अस्तित्व बनाये रखती है। भाषा, शिल्प अति प्रभावकारी और सरल है।
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