Jalte Hue Van Ka Vasant

Hardbound
Hindi
9788170556503
3rd
2020
112
If You are Pathak Manch Member ?

...तो दुष्यन्त की अभिव्यक्ति, भाषा और शिल्प के हर धरातल पर बहुत ही सहज और अनायास (स्पानटेनियस ) है । उसका अन्दाज़े-बयाँ बिल्कुल प्रत्यक्ष और सीधा (अवक्र) है, लेकिन प्रश्न है कि यह सहजता या प्रत्यक्षता या सरलता आयी कहाँ से ? यह कवि की पूरी सृजन और अनुभव-प्रक्रिया का परिणाम है। इसके पीछे जीवन का सहज-ग्रहण है।

...काव्य-बोध के सन्दर्भ में वह प्रभावों और अनुभूतियों को बड़ी सादगी से उठाता है— अधिकांशतः शुद्ध भावों और अनुभूतियों को - और बिना किसी काव्यात्मक उपचार और आलंकारिक प्रत्यावर्तन के बड़ी ‘सादाज़बानी' से अभिव्यक्त कर देता है।

....उनमें (दुष्यन्त की कविताओं में) सम्पूर्ण मर्म आन्दोलित हो उठता है, इसलिए वे चौंकाने या उद्बुद्ध करने के स्थान पर 'हॉन्ट’ करती हैं। पूरी नयी कविता में, इसीलिए, उनका स्वर अलग और अकेला है, उन पर किसी भी देशी-विदेशी कवि का प्रभाव या साम्य ढूँढ़ना गलत होगा... ।

... दुष्यन्त के पूरे काव्य के सन्दर्भ में डी. एच. लारेंस की ये पक्तियाँ मुझे बार-बार याद आती हैं—“दि एसेंस ऑफ़ पोएट्री विद अस इन दिस एज ऑफ़ स्टार्क एंड अन-लवली एक्चुअलिटीज़ इज़ ए स्टार्क डाइरेक्टनेस, विदआउट ए शैडो ऑफ़ ए लाइ, ऑर ए शैडो ऑफ़ डिफ़लेक्शन एनीव्हेयर एव्हरीथिंग कैन गो, बट दिस स्टार्क, बेयर, रॉकी डाइरेक्टनेस ऑफ़ स्टेटमेंट, दिस एलोन मैक्स पोएट्री टुडे ।”

-(डॉ. धनंजय वर्मा की पुस्तक 'आस्वादन के धरातल' से)

दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar)

दुष्यन्त कुमार नाम : दुष्यन्त कुमार त्यागी -ग्राम : राजापुर-नवादा (बिजनौर, उ.प्र.)जन्म : 1 सितम्बर, 1933शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1954 में एम.ए. (हिन्दी)धंधा : खेती और सरकारी नौकरीपता : 69/8 दक्षिण त

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter