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Trimaya

Hardbound
Hindi
9789369441457
1st
2025
232
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"मैं जीवन और जंगल के इस विशाल लैंडस्केप में एक मज़बूत खम्भा हूँ। मैं माया हूँ। एक प्राचीनतम मातृसत्तात्मक समाज की ज़िन्दा प्रतीक । मेरा जन्म जलदापारा में हुआ था। कभी यहाँ तरह-तरह के पेड़ थे। तमाम तरह की वनस्पतियों और छोटे-बड़े जीवों से रचा-बसा यह एक आदिम स्वर्ग था। मेरी याददाश्त में सब कुछ वैसे का वैसा है जैसे बस अभी कल की बात हो । मैं इसी आदिम स्वर्ग में जन्मी थी अपनी माँ की तरह और उनकी माँ भी।"


“एक दिन, जब पितृसत्ता विफल हो जायेगी और हम भीतरी-बाहरी युद्धों के चलते अपनी ही दुनिया नष्ट करने लगेंगे तब हमें एक नयी विश्व व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता होगी। तब मैं हाथी समाज का अनुकरण करने की अनुशंसा करूँगी। इन सौम्य दिग्गजों ने हमारी उम्मीदों और सपनों के यूटोपियन मातृसत्तात्मक समाज का निर्माण किया है।"


"चलो बहस छोड़ो अब नायरों में मातृवंश तो रहा नहीं ना! उसे लौटा लाना भी सम्भव नहीं है। मगर यह तय है कि नायर स्त्री के जीनोटाइप में से अल्फ़ावुमन का असर नहीं जाता है।"


"खासी कहावत है, 'लॉन्ग जैद ना लोआ किन्थेई' - वंश की गिनती माँ से ही शुरू होती है। और ऐसा नहीं है कि औरतें महारानी बन के रहती हैं बल्कि उन्हें ज़्यादा काम करना पड़ता है। तुम्हारे पापा तो शिलॉन्ग आ गये, छोटे भाई, माँ-बाप की देखभाल किसने की? मैंने, खेत सँभाले, खेती की। रिश्तेदारियाँ निभायीं यहाँ तक कि मेरे दोनों पति मेरी ज़िम्मेदारियाँ देखकर मुझसे दूर भाग गये। मगर मैंने पुरखों की ज़मीनें नहीं बेचीं। पूरे परिवार को सहेजा।"

मनीषा कुलश्रेष्ठ (Manisha Kulshreshtha)

मनीषा कुलश्रेष्ठ लोकप्रिय कथाकार तो हैं ही, पर्यावरण चिन्तक भी हैं। वे राजस्थान में जन्मी हैं मगर पूरा देश उनका घर रहा है, क्योंकि वे वरिष्ठ वायुसेना अधिकारी की पत्नी हैं।इनके त्रिमाया से पह

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