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Matlab Hindu

Hardbound
Hindi
9789362878519
1st
2025
228
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अम्बर पाण्डेय का उपन्यास ‘मतलब हिन्दू’ एक अनोखा उपन्यास है। यह उपन्यास लिखे हुए शब्दों के भेष में बोले गये शब्दों में अपने नरेटिव की ऊँचाइयों को छू लेता है। मैंने इस रचनात्मक प्रयोग को हिन्दी फ़िक्शन में इतनी सुन्दरता और गहनता के साथ बरतते हुए आज तक नहीं देखा। महान चेक उपन्यासकार मिलान कुन्देरा का कहना है कि नॉवेल में अगर अस्तित्व के किसी छुपे हुए आयाम पर प्रकाश नहीं पड़ता, तो नॉवेल लिखना बेकार है। ‘मतलब हिन्दू’ में तो हर पन्ने पर ऐसी रौशनी बिखरी हुई है जो हमारे अन्धकार में छुपे गुनाहों को बहुत बेरहमी से रौशन कर देती है।
‘मतलब हिन्दू’ का बयानिया बहुत घना है और इस घनेपन के रेशों को मानवीय संवेदनाओं और इन्सान के दुखों से बुना गया है। यह उपन्यास हमें बताता है कि हमारी सारी axiology (मूल्यशास्त्र) पहले ही से शायद नकटी है और नक़ली नाकें उस पर कभी भी पूरी तरह फिट नहीं बैठती हैं। ये सब एक भयानक रूप से हास्यास्पद भी है।
गांधी जी का चरित्र एक तरह से उपन्यास के बुनियादी चरित्र के लिए एक चैलेंज है जिससे वह जगह-जगह सहमा हुआ सा भी नज़र आता है। उसको यह भी शक होता है कि कहीं गांधी जी भी तो व्यभिचार या फिर अनैतिकता के दोषी थे कि नहीं थे। गांधी जी के चरित्र और उपन्यास में समाये हुए इतिहासबोध ने अविश्वसनीय को जिस तरह विश्वसनीय बना दिया है, वह भी अम्बर पाण्डेय की क़लम का एक करिश्मा ही कहा जायेगा।
नॉवेल के अन्त में पहुँचकर मुझे यह भी महसूस हुआ कि जैसे मैंने किसी यूनानी ट्रेजेडी को पढ़कर ख़त्म किया हो। एक ऐसी ट्रेजेडी जो अपनी हास्यास्पदता की वजह से और भी ज़्यादा बड़ी बन गयी हो। यह काम आधुनिक समय में एक बड़ा नॉवेल ही कर सकता है। यह काम इस नॉवेल यानी ‘मतलब हिन्दू’ के ज़रिये अपने अंजाम को पहुँचा।
- खालिद जावेद, उपन्यासकार

★★★

इस अद्भुत उपन्यास में एक बीते हुए समय की कहानी अनोखी गुजराती-मालवी-मराठी हिन्दी में लिखी गयी है जिसमें युवा बैरिस्टर गांधी की उपस्थिति शुरू और अन्त में ही नहीं, एक नैतिक कसौटी की तरह बीच-बीच में भी चली आती है। बम्बई में कास्ट आयरन की इमारत में रहते दवे परिवार का रोज़मर्रा का ख़ान-पान, चाय की नयी पाली हुई लत, ढिबरी का प्रकाश ऐसे जगमगाता है कि लगता है यह किसी डेढ़ सौ साल की उम्र के लेखक का आँखों-देखा वर्णन है और सौ साल पुरानी भाषा में ही लिखा गया है।
- अलका सरावगी


अम्बर पाण्डेय (Amber Pandey )

अम्बर पाण्डेय हिन्दी और अंग्रेज़ी में कविता तथा गद्य लिखते हैं। उनकी पहली पुस्तक कोलाहल की कविताएँ है जिस पर उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वे फ्रांसीसी और जर्मन भाषा से हिन्दी एवं

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