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Mughal Samrat Humayun

Paperback
Hindi
9789350728093
4th
2015
442
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हुमायूँ तैमूरीवंश का विचित्र रत्न था। उस वंश में अद्भुत विभूतियों ने जन्म लिया, जिनका सिलसिला तैमूर से लेकर औरंगजेब तक, दस-बारह पीढ़ियों तक चलता रहा। मुश्किल से कोई राजवंश ऐसा होगा जिसमें इतने ओजस्वी नायक पैदा हुए हों। हुमायूँ इस लम्बी अनूठी जंजीर की एक विलक्षण कड़ी था। उसका चरित्र गुण-दोषों का अनोखा समूह था जिन्होंने उसे एक तरफ़ हिन्दुस्तान का बादशाह और दूसरी तरफ़ देश-निर्वासित ईरान के बादशाह का अनुजीवी बना दिया। उसे अपने पच्चीस वर्ष के राज्यकाल में से पन्द्रह वर्ष विदेश में बिताने पड़े ।

ऐसे आश्चर्यजनक उतार-चढ़ाव का ब्यौरा सचमुच हृदय को आकर्षित करता है। काल की निठुरता और मनुष्य के धैर्य का अद्भुत संघर्ष हुमायूँ की कहानी को अत्यन्त रोचक बनाता है।

लेखक ने हुमायूँ के जीवन से सम्बन्ध रखने वाले सभी फ़ारसी ग्रन्थों का अवलोकन किया है और अंग्रेज़ी में जितनी जीवनियाँ और मुग़लकालीन इतिहास लिखे गये हैं, उन सबका अच्छा निरीक्षण किया है। जीवन की घटनाओं और राज्य की कृतियों की पूरी जाँच-पड़ताल की है और अन्य लेखकों के विचारों पर युक्तियों के साथ निर्णय दिया है। हुमायूँ का विस्तृत, गम्भीर एवं विद्वत्तापूर्ण वर्णन प्रस्तुत किया गया है जिससे विद्यार्थियों को

इस बादशाह का अच्छा ज्ञान मिल जायेगा।

हरिशंकर श्रीवास्तव (Harishankar Srivastava)

हरिशंकर श्रीवास्तव इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1943 में इतिहास में एम.ए.; लगभग चालीस वर्ष तक स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्यापन, जिसमें 37 वर्षों तक अध्यक्ष पद पर कार्य करने का अनुभव; फ़ेल

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