Sarveshwardayal Saxena Ka Rachna-Karm

Hardbound
Hindi
9788181434678
2nd
2010
259
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आधुनिक हिंदी काव्य-जगत् में जिन प्रमुख कवियों ने अपने ओजस्वी और निरंतर विकासमान स्वर के कारण अपनी एक विशिष्ट पहचान बना ली है उनमें सर्वेश्वर के काव्य ने नई कविता की शक्ति और सामर्थ्य को एक नई अर्थवत्ता प्रदान की है, तथा भावात्मक आस्फलन से हटकर विचारों की ठोस भूमि पर अपनी प्रामाणिकता सिद्ध की है। अपनी जनपरक मानसिकता, सामाजिक सत्यों को उजागर करने के अनवरत प्रयास, संतुलित संवेदना और अपनी बेलाग किंतु भारतीय लोक परंपरा और संस्कृति से सीधे-सीधे जुड़ी हुई काव्यभाषा की विशिष्टता के कारण कवि सर्वेश्वर नई कविता के प्रतिनिधि कवि माने गए हैं।

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने नाटक, उपन्यास और कहानी के समान गद्य विधाओं में भी अनेक ऊँचाइयाँ पार की हैं, लेकिन उनका कवि-व्यक्तित्व ही सर्वाधिक प्रखर और भास्वर है। हमारे युग के इस महत्वपूर्ण कवि का मूल्यांकन समर्थ आलोचकों के लिए सदा ही एक चुनौती रहा है।

कवि सर्वेश्वर पर स्फुट रूप से तो काफी कुछ लिखा गया है, लेकिन उनकी काव्य- यात्रा का समग्रतः अध्ययन विश्लेषण डॉ. कृष्णदत्त पालीवार ने पहली बार प्रस्तुत किया है, जो अपनी प्रामाणिकता और कवि पाठक संवाद शैली के कारण सर्वेश्वर की कविता के प्रशंसकों और अध्येताओं के मध्य निश्चय ही समादूत हो सकेगा।

कृष्णदत्त पालीवाल (Krishnadatta Paliwal )

कृष्णदत्त पालीवाल जन्म : 4 मार्च, 1948 को सिकन्दरपुर, ज़िला फ़र्रुख़ाबाद (उ.प्र.) में। प्रकाशन : भवानी प्रसाद मिश्र का काव्य-संसार, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का चिन्तन जगत्, मैथिलीशरण गुप्त : प्रासंग

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