लपटें -
‘लपटें' प्रतिष्ठित कथाकार चित्रा मुद्गल की नयी कहानियों का संग्रह है।चित्रा मुद्गल की कहानियों का प्रमुख स्वर 'नारी मुक्ति' है। 'लपटें' की कहानियों में एक ओर जहाँ मध्यवर्गीय नारी अपने अस्तित्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिए पुरुष प्रधान समाज द्वारा किये अवमूल्यन से टकरा रही है, वहीं चारों ओर फैले अन्याय, शोषण, अत्याचार, अमानवीयता आदि का खुला प्रतिवाद कर रही है। यातना चाहे नारी की हो या सर्वहारा की, किसी वृद्ध की हो या बच्चे की, चित्रा मुद्गल उसके उत्स तक जाने की कोशिश करती हैं और व्यवस्था के सभी पहलुओं के साथ मनुष्य के पारस्परिक सम्बन्धों में, उनके अन्तर्जगत में झाँकती हैं। यही वजह है कि उनकी कहानियों में व्यवस्था का क्रूर, अमानवीय, जनविरोधी चरित्र बार-बार उभरता है।
एक कथाकार की ऊर्जावान उपस्थिति आप इन कहानियों में पायेंगे जहाँ बाहरी दिखावा नहीं, भीतर का आँवा है। कहानियों में भाषा का वेग, मिथक, बिम्ब, प्रतीक आदि का सार्थक प्रयोग और इनके रचाव की तल्लीनता इन्हें विशेष बनाती है। इनमें जहाँ चित्र और रंग का संयोजन होता है ये कहानियाँ बेहतरीन कला-कृतियाँ बन जाती हैं।
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