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दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला

कहानी
Hardbound
Hindi
9789355189066
1st
2023
144
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रूपा सिंह की कहानियाँ सुलगते-तपते अनुभवों की कहानियाँ हैं-वे जैसे समय की एक नोक पर बिंधी रहती हैं। उनके ठिठके से चरित्र अपने भीतर वर्षों और कभी-कभी दशकों के तूफ़ान छुपाये रखते हैं। किशोर होती बेटियों के अपने द्वन्द्व हैं, माँ की अपनी फ़िक्र- दोनों के बीच सनसनाती वर्जनाओं के वे प्रदेश हैं जिन्हें लाँघते हुए अमूमन हिन्दी कथाकारों के पाँव थरथराते हैं। लेकिन रूपा सिंह जैसे भाषा के स्थूल रूपों को छोड़ एक सूक्ष्म शब्दावली का निर्माण करती हैं और बहुत सहजता से ये कहानियाँ कह लेती हैं। सिहरती हुई पारदर्शी भाषा इन कहानियों को एक अलग त्वरता और तरलता प्रदान करती है।
वैसे तो रूपा सिंह जो लिखती हैं, वह अन्ततः प्रेम कहानी है, लेकिन प्रेम कहानी के जाने-पहचाने दायरे में ये कहानियाँ समाती नहीं। इन कहानियों में प्रेम वह भावुक, कच्चा और सुकुमार प्रेम नहीं है जो रिश्तों के बनने-टूटने की कशमकश के बीच गुलाबी ढंग से आकार लेता है और कभी-कभी अपने दुखों के नीले निशान छोड़ जाता है। । यह वह देहातीत आध्यात्मिक-क़िस्म का प्रेम भी नहीं है जो दिल में घुलता रहता है और जिसमें नायक-नायिका घुल कर रह जाते हैं। कहीं यह ठोस दैहिक प्रेम है और कहीं वह संवेदनशील रिश्ता जो बरसों तक स्मृति की राख के नीचे दबा रहता है और बिल्कुल मृत्यु के बाद ही प्रगट होता है। इस मोड़ पर 'दुखाँ दी कटोरी जैसी कहानी अप्रतिम हो उठती है। लेकिन मृत्यु से पहले और जीवन के बीच भी अनुभव के बहुत सारे गोपन क्षण हैं जिनके बीच सहेलियाँ आवाजाही करती है। कभी वे धोखा भी खा जाती हैं, अन्ततः जीवन के स्पन्दन को हमेशा बचाये रखती हैं। अच्छी बात यह है कि इन कहानियों में वह लैंगिक संवेदना मिलती है जिसका हमारे समय और समाज में अमूमन अभाव रहा है। 'चाबी' जैसी कहानी इस लिहाज से उल्लेखनीय है।
इन कहानियों में हिन्दी की एक अलग सी भाषिक छौंक मिलती है जो कुछ कृष्णा सोबती की याद दिलाती है। पंजाबी की सोंधी खुशबू से भरी यह भाषा अपना एक पर्यावरण बनाती है जो जितना दुख के धागों से सिला ● गया है उतना ही उल्लास के रंगों में डूबा हुआ है। दुख और सुख के दोनों किनारों को अपनी तरह से छूतीं ये कहानियाँ हिन्दी के पाठकों के लिए एक नया संसार रचती हैं।
- प्रियदर्शन

रूपा सिंह (Rupa Singh)

रूपा सिंह जन्म : 16 मई, दरभंगा, बिहार।शिक्षा : एम. फिल., पीएच.डी., जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली। डी. लिट्., आगरा विश्वविद्यालय, आगरा। पोस्ट डॉक्टरेट, कला संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय ।एसोसिए

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