Angan Ke Par Dwar

Hardbound
Hindi
9789355183705
20th
2022
86
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आँगन के पार द्वार

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और पत्रकार 'अज्ञेय' के अपने इस संग्रह 'आँगन के पार द्वार' तक आते-आते उनका काव्य निखार और गहराई के ऐसे उत्कर्ष पर पहुँचा है, जिसमें भारतीय चिन्तन-परम्परा की विश्व से संयोजन की क्षमता साकार हो उठी है। इस दृष्टि से यह संग्रह हिन्दी काव्य की अद्वितीय उपलब्धि है। इस कृति ने यह सिद्ध कर दिया है कि 'अज्ञेय' प्रश्न छेड़ने में ही नहीं, उत्तर पाने में भी कुशल हैं। यह ज़रूर है कि ये उत्तर उन्होंने बाहर से नहीं, भीतर से पाये हैं।

साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत 'आँगन के पार द्वार' नयी कविता की ही नहीं, आधुनिक हिन्दी कविता की अत्यन्त प्रांजल और प्रौढ़ उपलिब्ध है।

समर्पित है हिन्दी कविता के सहृदय पाठकों को 'आँगन के पार द्वार' का नया संस्करण।

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Agyeya')

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (7 मार्च 1911-4 अप्रैल 1987) -मानव मुक्ति एवं स्वाधीन चिन्तन के अग्रणी कवि-कथाकार-आलोचक-सम्पादक ।कुशीनगर, देवरिया (उ.प्र.) में एक पुरातत्त्व उत्खनन शिविर में ज

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