साहित्य जगत में 'बिज्जी' के नाम से मशहूर विजयदान देथा इकलौते कथाकार हैं, जिनकी रचनाओं में लोक का आलोक अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है। वे लोक-मानस में सहेजी-बिखरी कथाओं को अपने अप्रतिम सृजन-कौशल से ऐसा स्वरूप प्रदान करते हैं कि उनमें लोक का मूल तत्व तो अक्षत रहता ही है, साथ ही युगों पुरानी कहानियाँ समकालीनता का स्पर्श पा जाती हैं। बिज्जी की कहानियों की भाषा भी अलग से ध्यान देने की माँग करती है। उनकी हिन्दी में राजस्थानी बोली बानी की ऐसी छौंक है, जो हिन्दी का सामर्थ्य-विस्तार करने के साथ-साथ उसे एक नया स्वरूप देती है। इससे पाठकों को एक नया अस्वाद मिलता है। प्रस्तुत संग्रह में बिज्जी ने राजस्थानी के लोक मानस के खजाने से चुनकर कुछ ऐसी कहानियों को अपनी लेखनी का स्पर्श दिया है जो मानवीय मूल्यों को मजबूती से हमारे सामने लाती हैं।
विजयदान देथा (Vijaydan Detha)
विजयदान देथा
विजयदान देथा, जिन्हें उनके मित्र प्यार में बिज्जी कहने हैं, राजस्थानी के प्रमुख लेखक हैं। वे हिन्दी में भी लिखते रहे हैं। देथा ने आठ सो से अधिक कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें से अनेक क