Wah Kaun Thi?

Sanjeev Author
Paperback
Hindi
9789388434195
1st
2019
92
If You are Pathak Manch Member ?

कसम खाकर कहती हूँ कि वह एक कयामत की रात थी। आज भी याद करती हूँ तो सिहर-सिहर उठती हूँ, जैसे किसी साँप की जीभ सहला-सहला जाये ! जान में जान तब आयी जब बोगी के कंडक्टर ने आकर हमें बताया, " रब का शुकर मनाओ जी कि ख़तरा टल गया।” “पर क्या वाक़ई कोई टेरारिस्ट एटेम्प्ट था या सिर्फ...?” बहुत कुछ पूछना चाहते थे हम, मगर कंडक्टर ने हमें बोलने का मौका ही न दिया, “ये टाइम बहोत ख़राब है जी, कब हक़ीक़त अफवाह बन जाये, कब अफवाह हकीकत, ख़तरा तो टल गया लगता है, पर ख़तरा तो कभी भी आ सकता है जी । एहतियातन एलर्ट ही रहें तो अच्छा।” कंपार्टमेंट की बुझी बत्तियाँ जल उठीं। लगा, हम एक लम्बी काली सुरंग से बाहर निकले हैं।'

'वह कौन थी?' कहानी का अंश

संजीव (Sanjeev)

38 वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला, 7 वर्षों तक 'हंस' समेत कई पत्रिकाओं के सम्पादन और स्तम्भ लेखन से जुड़े संजीव का अनुभव संसार विविधता से भरा हुआ है, साक्षी हैं उनकी प्रायः 150 कहानियाँ, 13 उपन्यास औ

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