आस्ट्रिया न तो आस्ट्रेलिया है और न ही वहाँ बोली जाने वाली भाषा आस्ट्रियाई है, जैसे कि आमतौर पर समझा जाता है वहाँ की भाषा उतनी ही जर्मन है, जितनी कि जर्मनी की जर्मन है। इस पुस्तक में आस्ट्रिया का अति आधुनिक साहित्य प्रस्तुत है, अधिकांशतः एशिया, जो जर्मन वालों के बाद हिन्दी वालों को नसीब हो रहा है। जर्मन भाषी साहित्य तीन देशों में लिखा जाता है, जर्मनी, आस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में। भाषा एक होते हुए भी तीनों देशों के साहित्य का चरित्र काफी हद तक भिन्न है । जर्मन साहित्य पिछले दो दशकों से बर्लिन की दीवार टूटने के बाद से पूर्वी यूरोप को अपने केन्द्र में रखे हुए है, जबकि आस्ट्रियाई साहित्य ने अभी तक अपने अन्तर्मन में झांकने की आदत नहीं छोड़ी, और 'दर्शन' से अपना सरोकार बनाए रखा है। आस्ट्रियाई साहित्य की विशेषता है उसमें निहित 'अनर्गल' का तत्व जो इसे बहुत हद तक विशिष्ट बनाता है। नाजी 'युग में जर्मनी द्वारा आस्ट्रिया को अपना एक हिस्सा बना लेने की घटना और उसमें नाजीवाद के प्रचार ने देश के इतिहास और तदुपरान्त लोगों की मानसिकता और फिर साहित्य पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। यह सब कुछ इस संग्रह की कहानियों में पढ़ने को मिलेगा । संग्रह में तीन विचारोत्तेजक निबन्ध भी शामिल है, जिन्हें पाठक कहानियों से भी ज्यादा दिलचस्प पायेंगे ।
अमृत मेहता (Amrit Mehta)
अमृत मेहताजन्म : 1946 ई., मुलतान में। हिन्दी, जर्मन, अंग्रेज़ी, पंजाबी तथा इतालवी भाषाओं का ज्ञान । जर्मन साहित्य में डॉक्टर की उपाधि । जर्मन विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ में तथा अनुवाद वि
अमृत मेहताजन्म : 1946 ई., मुलतान में। हिन्दी, जर्मन, अंग्रेज़ी, पंजाबी तथा इतालवी भाषाओं का ज्ञान । जर्मन साहित्य में डॉक्टर की उपाधि । जर्मन विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ में तथा अनुवाद वि