Yogphal

Arun Kamal Author
Hardbound
Hindi
9789388684736
1st
2019
92
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सुपरिचित कवि अरुण कमल का यह संग्रह जीवन के अनेक अनुभवों, प्रसंगों और चरित्रों का योगफल है। इसकी मूल प्रतिज्ञा ही यही है कि प्रत्येक जीवन समस्त जीव-जगत का, वरन् भुवन के प्रत्येक तृण-गुल्म का, समाहार है। इसलिए कोई भी इयत्ता या पहचान शेष सबको अपने में जोड़कर ही पूर्णता प्राप्त करती हैं। अतिरंजना का जोखिम उठाते हुए कहा जा सकता है कि इसीलिए एक कवि, श्रेष्ठ कवि, सम्पूर्ण मनुष्यता का योगफल है। यहाँ अरुण कमल की कविता के प्रायः सभी पूर्वपरिचित अवयव या स्वर उपस्थित हैं। लेकिन जो बाकी सबसे किंचित् भिन्न और नवीन है वह है कविता का बहुमुखी होना। वह एक साथ कई दिशाओं में खुलती है। एक ही रश्मि अनेक पहल और कटावों से आती-जाती है। पहली कविता 'योगफल' से लेकर अन्तिम कविता 'प्रलय' तक इसे देखा जा सकता है जहाँ दोनों तरह के खदान हैं- धरती के ऊपर खुले में तथा भीतर गहरे पृथ्वी की नाभि तक। हर अनुभव को उसके उद्गम और फुनगियों तक टोहने का उद्यम । इसीलिए यहाँ कुछ भी त्याज्य या अपथ्य नहीं है-न तो रोज-ब-रोज के राजनीतिक प्रकरण, जो कई बार हमारे जीने या मरने की वजह तै करते हैं, न ही रात के तीसरे पहर का स्वायत्त एकान्त । द्वन्द्वों एवं विरुद्धों का समावेश करती यह एक सम्पूर्ण कविता है- 'नीचे धाह ऊपर शीत' ।

इस कविता संग्रह में एक और नया आयाम देखा जा सकता है। अरुण कमल की अब तक की सबसे लम्बी दो कविताओं के साथ-साथ कुछ कविता श्रृंखलाएँ भी हैं जिससे लगता है कि कवि के लिए अब एक अनुभव या भाव पहले से अधिक परतदार एवं संश्लिष्ट हुआ है और वह एक ही निर्मिति में पूर्ण नहीं होता, बल्कि एक मूर्ति बनने के बाद भी कुछ मिट्टी बच रहती है, बची रह जाती है । यहाँ 'प्रलय' शीर्षक कविता को भी देखा जा सकता है जो कई बार स्वचालित सी लगती है और बिना किसी कथानक या मिथक के दैनन्दिन प्रसंगों से आकार ग्रहण करती हुई लगभग अनियोजित बसावट की तरह बढ़ती है और लगता है अभी और खाली जगहें चारों तरफ रह गयी हैं। यानी हर योगफल अन्ततः अपूर्ण है ।

इन कविताओं की एक और विशेषता अनेक अन्तःध्वनियों की उपस्थिति है। अनेक पूर्व स्मृतियाँ और अनुगूँजें हैं।

अरुण कमल की कविताएँ अपनी गज्झिन बुनावट, प्रत्येक शब्द की अपरिहार्यता और शिल्प-प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं। गहन ऐन्द्रिकता, अनुभव-विस्तार और अविचल प्रतिरोधी स्वर के लिए ख्यात अरुण कमल का यह संग्रह हमारे समय के सभी बेघरों, अनाथों और सताये हुए लोगों का आवास है-एक मार्फत पता ।

अरुण कमल (Arun Kamal)

15 फरवरी, 1954, नासरीगंज, रोहतास (बिहार) में जन्म। छह कविता पुस्तकें अपनी केवल धार, सबूत, नये इलाके में, पुतली में संसार, मैं वो शंख महाशंख और योगफल। तीन कविता चयन भी प्रकाशित। दो आलोचना पुस्तकें कवि

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