भूमण्डलीकरण, बाज़ारीकरण, मशीनीकरण आदि से। वर्तमान मानव जीवन संघर्षग्रस्त हो गया है। मानव का यह संघर्ष स्वाभाविक रूप से साहित्य का विषय बना। इस यान्त्रिक युग में मनुष्य का अस्तित्व ही ख़तरे में है और वह मात्र पुर्जा बनकर रह गया है। उपभोक्तावाद ने उसे सिर्फ़ एक 'माल' या 'वस्तु' बनाकर छोड़ा है। नया साहित्य मनुष्य की इस त्रासदी का साहित्य है। रोमानी या काल्पनिक साहित्य आज के मानव जीवन का चित्रण करने के लिए अनुरूप नहीं है। नये साहित्यकार वर्तमान जीवन की विसंगतियों को चित्रित करने के लिए रचनाओं के भाव और शिल्प में नये-नये प्रयोग करते नज़र आते हैं। साहित्य में नवीनता लाने के लिए ऐसे नये प्रयोग अनिवार्य हैं जो रचनाओं को जीवन्तता प्रदान करते हैं। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी और वाणी फ़ाउण्डेशन की सहकारिता से सरकारी वनिता कॉलेज, तिरुवनन्तपुरम के हिन्दी विभाग ने 12 जुलाई, 2018 से 14 जलाई, 2018 तक 'नया साहित्य : नये प्रश्न' विषय पर त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था। संगोष्ठी में प्रस्तुत आलेखों को पुस्तकाकार बनाने की कोशिश यहाँ की गयी है। आशा करती हूँ कि नया साहित्य के नये प्रश्नों को समझने और उसके सम्बन्ध में विचार करने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review