Bolnewali Aurat

Mamta Kalia Author
Hardbound
Hindi
9788170555930
2nd
2012
92
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ममता कालिया के रचना लोक में दो तरह की छवियाँ प्रमुख हैं। एक में हमारे भारतीय समाज के मध्यवर्ग की स्त्रियाँ और उनका दुःख है । दूसरे में सामान्य जीवनानुभव हैं।

ममता कालिया महिला त्रासदी के स्थूल रूपों को अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं बनातीं। जरूरत पड़ने पर वह त्रासदी की कुछ परंपरागत स्थितियों को शामिल करती हैं किन्तु ज्यादातर वह कठिन मगर बेहतर प्रणाली उपयोग में लाती हैं। उनकी दिलचस्पी सूक्ष्म स्तरों और गहरे प्रभावों-प्रतिक्रियाओं को उद्घाटित करने में दिखती है ।

ममता कालिया ने इन कहानियों को महिलावादी क्रोधी भंगिमा से नहीं रचा है, न ही इनमें औरतों के प्रति अबोध आकुलता है। ये गुस्से और भावुकता से पृथक् निर्भय और निस्संग तरीके से यथार्थ को हाजिर करती हैं । वस्तुतः उनकी कहानियाँ नारीवादी न होकर नारी के यथार्थ की रचनाएँ हैं।

-अखिलेश



कहानी 'खिड़की' पढ़ी। मुझे आपकी अब तक की तमाम कहानियों में से यह कहानी ज्यादा अच्छी लगी। इसमें खूबी यह है कि आपकी तमाम सूझ-बूझ और कला-कौशल के बावजूद वह स्वतः स्फूर्त ढंग से संपादित होती चलती कहानी है। लेखक का अनुशासन और फॉर्म को लेकर उसकी अति सजगता अक्सर रचना के स्पोटेनियस तत्त्वों को मार डालती है लेकिन इस कहानी में बौद्धिक सजगता और पात्रों के भीतर का जीवन्त स्फुरण दोनों अंतर्गुम्फित हैं। सचमुच यह एक कमाल हैं।

-मनोज रूपड़ा

ममता कालिया (Mamta Kalia)

ममता कालिया कई शहरों में रहने, पढ़ने और पढ़ाने के बाद अब ममता कालिया दिल्ली (एनसीआर) में रहकर अध्ययन और लेखन करती हैं। वे हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषाओं की रचनाकार हैं। भारतीय समाज की विशेषताओं

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