Soundaryashastra Ke Prashn

Ajay Tiwari Author
Hardbound
Hindi
9789352290260
1st
2015
136
If You are Pathak Manch Member ?

₹210.00 ₹300.00
30% Off

सौन्दर्यशास्त्र के प्रश्न -
अजय तिवारी की यह किताब 'सौन्दर्यशास्त्र के प्रश्न' हिन्दी की प्रगतिशील कविता को पूरी काव्य परम्परा के सन्दर्भ में समझने की कोशिश करती है। उसका स्पष्ट मत है कि प्रगतिवाद जिन नये मूल्यों के साथ एक ऐतिहासिक आन्दोलन के रूप में सामने आता है वे सारे मूल्य पूर्ववर्ती भारतीय कविता में भी देखे जा सकते हैं। इस कविता की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इसने पहले की कविता के जिन मानवतावादी मूल्यों और अन्तर्वस्तु को धारण किया है, उसे आधुनिक युग की वैज्ञानिक दृष्टि से लैस कर दिया है। अजय तिवारी मानते हैं कि प्रगतिशील साहित्य भारतीय साहित्य की समस्त मानवतावादी परम्पराओं से विकसित सुसंगत, वैज्ञानिक चेतना का साहित्य है।
इस किताब का विशेष महत्त्व इस बात में है कि यह वस्तुतः प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य-मूल्यों का अध्ययन भी है और क्रिटीक भी। इसलिए यह प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य बोध और वैज्ञानिक सौन्दर्यशास्त्र के सम्बन्ध में आलोचना के क्षेत्र में व्याप्त अनेक भ्रांतियों का निराकरण करने का काम भी करती है।
अजय तिवारी हमेशा, चाहे मुद्दा साहित्य का हो, साहित्यिक सैद्धान्तिकी का या संस्कृति के किसी पक्ष का, निरन्तर जिरह करते आलोचक हैं। तर्क-वितर्क करते एक सजग और सतर्क आलोचक। उनकी यह किताब केवल प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य-मूल्यों और सौन्दर्य बोध को समझने के लिए ही सहायक नहीं है, यह वस्तुतः सौन्दर्य बोध और सौन्दर्य-मूल्यों की भारतीय परम्परा को समझने की भी एक सही दृष्टि प्रदान करती है।
-राजेश जोशी

अजय तिवारी (Ajay Tiwari)

अजय तिवारी जन्म : 6 मई 1955, इलाहाबाद (मूलनिवास : ग्राम जगजीवन पट्टी, जौनपुर ।)शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा इलाहाबाद; एम. ए., पीएच. डी. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली प्रकाशन : प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य-मू

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter