Aaku Srivastava

अकु श्रीवास्तव, पढ़ाई के दिनों से ही अख़बारी रुझान।
रचनात्मक सक्रियता के चलते कुछ और सूझा ही नहीं। विश्वविद्यालय की पढ़ाई के दौरान ही अख़बार में नौकरी शुरू कर दी और फिर उसमें ऐसे रमे कि किसी और दिशा में काम करने की सोची भी नहीं। डेस्क और रिपोर्टिंग पर लगातार काम। लगातार 15 साल काम करने के बाद पलने-बढ़ने का शहर लखनऊ छूटा तो शहर के साथ कई संस्थान भी बदल बदले। देश के नामचीन अख़बार समूह 'नवभारत टाइम्स', 'जनसत्ता', 'राजस्थान पत्रिका', 'अमर उजाला', 'हिन्दुस्तान', 'पंजाब केसरी' (जालन्धर समूह) और 'दैनिक जागरण' के झण्डे तले लखनऊ, जयपुर, चण्डीगढ़, मुम्बई, कोलकाता, मेरठ, जालन्धर, इलाहाबाद, बनारस, पटना में काम करते-करते अब शायद आख़िरी छोर में दिल वालों की दिल्ली में पिछले 10 साल से कार्यरत। इन्हें कभी गंगा मइया अपनी ओर खींचती रहीं तो कभी सतलुज। पर अब केन्द्र में यमुना की शरण में। ढाई दशकों से अधिक समय से सम्पादक की भूमिका में। कुछ समय पत्रिका 'कादम्बिनी' का सम्पादन सम्हाला। इस दौरान उत्तर,पूर्व और पश्चिम के राज्यों में राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य को गहरे तक देखा-समझा। ....और कभी-कभी पत्रकारिता को अति सक्रियता के साथ अंजाम देते रहे। इसी उद्देश्य से 'बूँद' नाम से ख़ास प्यार और समाज को कुछ वापस दे सकें, के उद्देश्य से काम भी करते रहे हैं। राजनीतिक-सामाजिक विषयों के अतिथि-विशेषज्ञ के तौर पर देश के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर भी अक्सर रहते हैं। 'चुनाव 2019-कहानी मोदी 2.0 की' और 'क्षेत्रीय दलों का सेंसेक्स (हिन्दी और अंग्रेज़ी)' पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। तीन और पुस्तकों पर काम जारी।


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