G. shankar kurup Translated by G.Narayan Pillai & Laxmichandra Jain

ओटक्कुष़ल् - 'ओटक्कुष़ल् (बाँसुरी) की कविताओं में भारतीय अद्वैत-भावना का साक्ष्य है, जिसे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महाकवि जी. शंकर कुरुप ने प्रकृति के विविध रूपों में प्रतिबिम्बित आत्मछवि की गहरी अनुभूति से अर्जित किया है। कवि के रूमानी गीतों में भी एक आध्यात्मिक और उदात्त नैतिक स्वर मुखरित हुआ है। कुरुप बिम्बों और प्रतीकों के कवि हैं। कथ्य और शैली-शिल्प दोनों में ही उनकी कविता मलयालम साहित्य ही नहीं, भारतीय साहित्य की एक उपलब्धि बनकर गूँज रही है। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित इस कृति के पेपरबैक संस्करण का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ के लिए गौरव की बात है।

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter