Joginder Paul
जोगिन्दर पॉल (1925 - 2016)
पाँच सितम्बर 1925 को सियालकोट में पैदा हुए। अभी बाईस वर्ष के ही थे कि तकसीम ने उन्हें अपना वतन छोड़ने पर मजबूर कर दिया और वह सियालकोट से हिन्दुस्तान आ गये और 1948 में शादी कर केन्या चले गये। जैसा कि वो अक्सर कहते थे 'चौदह साल के बनवास' के बाद केन्या से वे हिन्दुस्तान लौट आये। इस ‘बनवास' के दौरान ही इनके दो कहानियों के मजमुए ('धरती का काल' और 'मैं क्यों सोचूँ) और एक नॉवेल ('एक बूँद लहू की) छप गये थे। नौकरी की तलाश करते वे पहले हैदराबाद और फिर औरंगाबाद में जा बसे जहाँ वे चौदह साल इंग्लिश के प्रोफ़ेसर और कॉलेज के प्रिंसिपल रहे। इसके बाद आख़िर तक उनका मुक़ाम दिल्ली रहा ।
जोगिन्दर पॉल की सबसे पहली कहानी 'त्याग से पहले ' 1945 में 'साक़ी' (दिल्ली) में छपी। उनकी उर्दू में 22 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। बहुत से अफ़साने और नॉवेल के अनुवाद हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा कई दूसरी हिन्दुस्तानी और ग़ैर-मुल्की ज़बानों में भी हो चुके हैं। उनके नॉवेल 'नादीद' का मॉस्को से रूसी ज़बान में तर्जुमा हुआ है। जोगिन्दर पॉल की अदबी ख़िदमात को मानते हुए उन्हें मोदी ग़ालिब अवार्ड, शिरोमणि साहित्यकार अवार्ड, कुल हिन्द बहादुर शाह ज़फ़र अवार्ड, इक़बाल सम्मान, दोहा-कतर अवार्ड, कुल हिन्द परवेज़ साहिदी अवार्ड, उर्दू अकादेमी जैसे पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। नॉवेल, कहानियों और लघु-कथाओं में उनका योगदान अनूठा है। साथ ही कहानी के ताल्लुक़ उनके लिखे तनक़ीदी मज़ामीन भी बहुत अहम हैं।